रेत को मुठ्ठी में पकडने की कोशिश मत करो।
उसने तो फिसल ही जाना है हाथ से!
उससे अपना घर बनवा लो।
घर का घर भी बन जायेगा, रेत भी साथ ही रहेगी सारी जिंदगी।
वैसे भी, मरने के बाद इन्सान ने उसी मिट्टी में मिल जाना है।
फिर क्या फायदा उसे मुठ्ठी में बंद करने का?
वक्त भी इसी रेत की तरह है।
उसके पिछे भागकर उसे पकडने की कोशिश मत करो।
उसने तो फिर भी निकल ही जाना है हाथ से!
उसे इस्तेमाल करो।
गुजरते वक्त के साथ हमे भी तो गुजर ही जाना है एक दिन...
-कायांप्रि
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