कुछ राज़ तुम्हारे दिल में हैं
कुछ राज़ हमारे दिल में हैं
हर एक राज़ हसीं तो नहीं
फिर भी जी रहे महफिल में है
कुछ खिले
फूल हैं हाथों में
कुछ टूटे
कश्तियों के टुकड़े
तमन्ना
खूबसूरती की थी
कुछ अदा
कातिल में है
ख्वाहिशों की सरजमीं पर
शमा जली अरमानों की
खुशियों को चख लिया है हमने
कुछ मज़ा मुश्किल में है
बदल गयी
कुछ करवटें
जाग उठी
कुछ सिलवटें
जन्नत को
छू लिया हाथों ने
पैर अभी
दलदल में हैं
कुछ शमाएँ बुझ गयी
कुछ चिताएँ बुझ गयी
उठ रहे हैं और तुफाँ
उम्मीद अभी साहिल में है
-कायांप्रि
Comments
Post a Comment